एक दिन नारद ने भगवान से पूछा, ‘माया क्या है?’ भगवान मुस्करा दिए और बोले, ‘किसी दिन प्रत्यक्ष दिखा देंगे’। अवसर मिलने पर भगवान नारद को साथ लेकर मृत्युलोक को चल दिए। रास्ते में भगवान ने कहा, ‘नारद! बहुत जोर की प्यास लगी है। कहीं से थोड़ा पानी लाओ।’ पानी लाने नारद बहुत आगे चले गए तो थकाव
मौर्य वंश के महान सम्राट चन्द्रगुप्त के पौत्र अशोक ने कलिंग युद्ध के पश्चात् बौद्ध धर्म अपना लिया। अशोक ने एक बौद्ध सम्राट के रूप में लगभग 20 वर्ष तक शासन किया। आचार्य चाणक्य के स्वर्गवास के बाद चन्द्रगुप्त मौर्य जैन बन गये, अंत में संथारा करके मृत्यु को प्राप्त हुआ। चन्द्
पाकिस्तान में एक मंदिर जहाँ मुसलमान भी मां के चरणों में शीश झुकाते हैं आप धर्म बदल सकते हो मगर आपकी मूल परम्पराएँ त्यागना आपके भी वश में नही क्यूंकि जो आपके जो डीएनए में है वो रीति-रिवाज बेहद मुश्किल होता है त्याग देना । पाकिस्तान या भारत के मुसलमान हिन्दू थे, ये ही इतिहास है, बल्कि ज
हाल ही में यहां के नित्यानंद मठ में संपन्न एक धार्मिक विधि के समय विश्वभर के ६० देशों के सहस्रों लोगोंद्वारा हिन्दू धर्म का स्वीकार किया गया। विविध धार्मिक विधि, जीवनपद्धति एवं पूजा-अर्चना कर इन विदेशी नागरिकों के हिन्दू नाम रखे गए। किसी को यदि हिन्दू होना हो, तो पारंपरिक
‘ॐ’ आपकी ज़िंदगी इस तरह से बदल सकता, जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते! संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है ओंकार. दुनिया के सभी मंत्रों का सार है ओमकार. ब्रहमा, विष्णु और महेश का प्रतीक है ओंकार. ओंकार ध्वनी से 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं, जो भी ॐ का उच्चारण करता है, उसके आसपास सकारात्मक शक्
न्यूयॉर्क : अमेरिका की जनता में हिन्दू धर्म के प्रति ख़ासा क्रेज है। यही कारण है कि, इस महान धर्म के तत्त्वों के साथ अमेरिकी खुद को आये दिन प्रदर्शित करते रहते हैं। अमेरिकन शहरों में आये दिन ऐसे धार्मिक प्रोग्राम होते रहते हैं जिनका सीधा जुड़ाव हिन्दू धर्म से है। अब न्यूयॉर्क का एक प्रम
द्वारिका धाम को चारों धामों में प्रमुख धाम के रूप में जाना जाता है। द्वापर युग में यह भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी थी। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ, लालन पालन गोकुल और उनकी कर्मस्थली द्वारिकापुरी ही थी। यहीं से पांडवों की सहायता कर भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में महाभा
एक आदमी के पास बहुत से पशु-पक्षी थे। उसने सुना था कि गांव के बाहर एक संत आए हुए हैं, जो पशु-पक्षियों की भाषा समझते हैं। वह उनके पास गया और उनसे उस कला को सीखने की हठ करने लगा। संत ने शुरुआत में कई बार टालने की कोशिश भी की, पर वह आदमी संत की सेवा में जुटा रहा। अंत में प्रसन्न होकर
निष्कण्टक राज्य पाने की लालसा से दुर्योधन कौरव- सेना को संगठित और उतसाहित आये दिन नये सेना पति बनाकर करता था, लेकिन सेनापति मद्रराज शल्यकी मृत्यु और पाण्डवों की मार पड़ने से दुर्योधन की सेना भयभीत होकर चारों ओर भागने लगी। घोड़ों पर चढ़कर भागे और कुछ लोग हाथियों पर। बहुत रथ में
उपनयन के समय पिता तथा आचार्यद्वारा त्रैवर्णिक वटुओं को जो यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है, ब्रह्मचर्य, गार्हस्थय, वानप्रस्थ- तीनों आश्रमों में उसे अनिवार्यत: अखण्डरुप में धारण किये रहने का शास्त्रों का आदेश है। किंतु धारण किया हुआ यज्ञोपवीत धारण करना पड़ता है। यज्ञोपवीत कब बद