
नोट :- यह पोस्ट लिखने का मेरा मकसद जनरैल सिंह भिंडरावाले का महिमामंडन करना नहीं है बल्कि भिंडरावाला एक आतंकी ही था…
अप्रैल 1982 में जोश में आकर बाला साहब ठाकरे ने मंच से कह दिया कि जनरैल सिंह भिंडरावाला में हिम्मत है तो वह मुंबई में आकर दिखाएं मेरे शिव सैनिक उसे मुंबई से वापस जाने नहीं देंगे…
दरअसल बाला साहब को यह पता नहीं था कि शिव सैनिक सिर्फ अवैध वसूली गुंडागर्दी और गरीब हिंदुओं के साथ मारपीट में ही माहिर हैं – मुस्लिमों और खालिस्तानीयों के सामने उनकी फटकर लाल हो जाती है….
जनरल सिंह भिंडरावाला अमृतसर से मुंबई के लिए बकायदा ऐलान कर के चला.. पूरे रास्ते हर शहरों में उसके समर्थक ट्रकों और बसों में उसके साथ हो जाते थे…
समर्थकों के हाथ में बड़ी-बड़ी तलवारें और खतरनाक राइफल होती थी…
दरअसल केंद्र में इंदिरा गाँधी थी…
इंदिरा गाँधी ने जानबूझकर भिंडरावाले के इस शक्ति प्रदर्शन पर कोई कार्रवाई इसलिए नहीं किया क्योंकि इंदिरा गाँधी ने ही बाला साहब ठाकरे को आगे बढ़ाया था और उन्हें लगा कि भिंडरावाले के बहाने वह बाला साहब ठाकरे और शिवसेना को मजा चखा सकती हैं…
जनरल सिंह भिंडरावाला बोले सो निहाल का नारा लगाते हुए मुंबई में प्रवेश किया….
चार दिनों तक वह बांद्रा से लेकर दादर पूरा मुंबई घुमा… शिवसेना भवन के सामने नारा लगाया…. लेकिन सारे शिवसैनिक चूड़ियाँ पहन कर पेटीकोट में घुसे रहे… किसी भी शिव सैनिक की हिम्मत नहीं हुई कि वह भिंडरावाला के सामने कुछ बोल सके!
फिर बाला साहब ठाकरे ने अटल जी से रिक्वेस्ट किया आप इंदिरा गाँधी को समझाओ मेरी इज्जत बचाओ और भिंडरावाला को मुंबई से बाहर निकालो…
अटल जी के दखल देने के बाद भिंडरावाला को केंद्रीय सरकार ने चेतावनी दिया कि वह मुंबई से वापस अमृतसर आया!
केवल यूपी बिहार के गरीब ठेले वालों के सामने शेर हैं.. शिवसेना के सियार!!
सनातन धर्म की वॉल पर Sanjay Dwivedy जी की पोस्ट: